यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। भाजपा ने 273 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, YM यानी यादव और मुस्लिम समीकरण और रालोद से गठबंधन करके जाट बिरादरी का चक्रव्यूह बनाकर सियासी रण जीतने की तैयारी कर रही सपा 111 सीटों पर सिमट गई।
यूपी में 65 से ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य सीट हैं। ये सीटें वेस्ट यूपी से आती हैं। इनमें से भाजपा को 25 और सपा-रालोद ने 40 सीटें जीती हैं। अगर 2017 की बात की जाए तो भाजपा ने इनमें से 40 और सपा ने 20 सीट जीतीं थी।
जिन 65 सीटों की बात की जाए रही है वहां मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 20% से 30% तक है। जबकि रामपुर और मुरादाबाद में यह आबादी 50% तक है। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भाजपा ने 2017 में भी जीत दर्ज की थी, लेकिन तब वहां समीकरण दूसरे थे।
भाजपा को मुस्लिम महिलाओं के काफी संख्या में वोट मिले
इस बार मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भाजपा को मुस्लिम महिलाओं के काफी संख्या में वोट मिले हैं। उससे भाजपा ने मुस्लिमों में भी सेंध लगा चुकी थी। उसका ट्रिपल तलाक का मुद्दा इन चुनावों में काम कर गया है। लेकिन इस बार मुस्लिम इलाकों में भी फूड सिक्योरिटी और कानून व्यवस्था का मुद्दा प्रभावी रहा है। जिसका असर नतीजों में देखने को मिला है।
2017 में दिखा था रोष
2017 में योगी सरकार आने के बाद भाजपा के प्रति मुसलमानों में काफी रोष रहा है। खासकर सीएए और एनआरसी को लेकर। सीएए-एनआरसी आंदोलन के दौरान मुसलमानों ने जबरदस्त विरोध किया था। इसको लेकर एक विरोध की तस्वीर बन गई। भाजपा की इंटरनल सर्वे रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक होती है। इसमें बताया गया है कि यादव और मुस्लिम बिरादरी का वोट मिलने की संभावना न के बराबर जताई गई है।
हालांकि, भाजपा सरकार की मुफ्त अनाज राशन योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना ने यहां काफी असर दिखाया है। सियासी जानकार बताते हैं कि इन दो योजनाओं ने मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में नतीजों की तस्वीर बदल गई।
सपा की हार में बसपा का बड़ा रोल
सिर्फ यही नहीं, सपा की हार में बहुत बड़ा रोल बसपा का भी रहा है। जहां-जहां सपा ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे। वहां बसपा ने भी मुस्लिम कैंडिडेट उतारे। इससे मुस्लिम वोट बंट गए। हालांकि, बड़ी संख्या में गए तो सपा में ही लेकिन वोट बंटने की वजह से सपा को नुकसान हो गया। जबकि भाजपा जीत गई।